मलेशिया में निपाह वायरस से संक्रमित करीब 50 फीसद लोगों की मौत हो गई। हालांकि प्राथमिक तौर पर इसका कुछ इलाज संभव है। हालांकि रोग से ग्रस्त लोगों का इलाज मात्र रोकथाम है। इस वायरस से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए। पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए।
तिरुवनंतपुरम। केरल में निपाह वायरस का कहर तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस खतरनाक वायरस से जहां 12 से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है। निपाह वायरस से पीड़ित मरीजों की देखभाल कर रही लिनी को पता ही नहीं चला कि न जाने कब वो इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ गई। हालांकि जब उन्हें इसका पता चला तो भी उन्होंने अपने कदम पीछे नहीं खींचे। उन्होंने मरीजों की सेवा के लिए अपने परिवार का त्याग कर दिया।डॉक्टरों के अनुसार, इस वायरस से प्रभावित लोगों को सांस लेने की दिक्कत होती है। बुखार, सिरदर्द भी शुरुआती लक्षण हैं।इसके इलाज के लिए न तो कोई दवा है और न ही इससे बचाव के लिए कोई टीका ईजाद किया गया है। समय रहते सही उपचार और लगातार निगरानी से ही जान बच सकती है। केरल के कोझिकोड़ में करीब 25 लोगों के इस वायरस के चपेट में आने की सूचना है। मामले की संजीदगी को देखते हुए केंद्र सरकार ने सक्रियता दिखाई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए डॉक्टरों की एक टीम को तैयार करने का निर्देश दिया, जिसे केरल रवाना कर दिया गया। नड्डा के मुताबिक डॉक्टरों की ये टीम नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के निदेशक के तहत कार्य करेगी। उनके मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय केरल के स्वास्थ्य विभाग के साथ संपर्क में है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, निपाह वायरस चमगादड़ से फलों में और फलों से इंसानों और जानवरों में फैलता है। चमगादड़ और फ्लाइंग फॉक्स मुख्य रुप से निपाह और हेंड्रा वायरस के वाहक माने जाते हैं। यह वायरस चमगादड़ के मल, मूत्र और लार में पाया जाता है। आरएनए या रिबोन्यूक्लिक एसिड वायरस परमिक्सोविरिडे परिवार का वायरस है, जो कि हेंड्रा वायरस से मेल खता है। ये वायरस निपाह के लिए जिम्मेदार होता है। यह इंफेक्शन फ्रूट बैट्स के जरिए फैलता है। शुरुआती जांच के मुताबिक खजूर की खेती से जुड़े लोगों को ये इंफेक्शन जल्द ही अपनी चपेट में ले लेता है।निपाह वायरस से संक्रमित मनुश्य को आमतौर पर बुखार, सिरदर्द, उनींदापन, मानसिक भ्रम, कोमा, विचलन होता है। निपाह वायरस से प्रभावित लोगों को सांस लेने की दिक्कत होती है और साथ में जलन महसूस होती है। वक्त पर इलाज नहीं मिलने पर मौत भी सकती है। मरीज का देखभाल वायरस से ठीक करने का एकमात्र तरीका है। संक्रमित जानवर खासकर सुअर को हमेशा अपने से दूर रखें।